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सोमवार, 10 फ़रवरी 2014

Gandhi ji, - I heard that Mahatma are formed in your ashram , I want to be mahatma,- Inspirational and Motivational article in Hindi


Gandhi ji,- मैंने सुना है कि आप के ashram में महात्मा बनते हैं,
मैं mahatma बनना चाहता हूँ,

Gandhi is a great mahatma 

Gandhi ji, I heard that  Mahatma are formed in your ashram, 

I want to be mahatma,

एक बार Mahatma Gandhi जी के ashram में के बालक आया और गाँधी जी से बोला – “मैं स्वयं को महात्मा बना, समाज को समर्पित करना चाहता हूँ । समाज की सेवा करना चाहता हूँ । मैंने सुना है कि आप के ashram में महात्मा बनते हैं, मैं mahatma बनना चाहता हूँ, आप जैसा । मुझे mahatma बनने के गुर शिखा दीजिये ।”
Mahatma Gandhi जी को ashram के सब लोग bapu ji कह कर पुकारते थे । bapu जी ने उस बालक से कहा “ठीक है- तुम ashram में रहो और जो कार्य दिए जाये उनको करो और जो सिखाया जाये वो सीखो, यदी तुम ये सब श्रद्धा से कर सके तो तुम जो बनना चाहते हो बन जाओगे । Mahatma भी बन जाओगे।”
बालक Gandhi ji के ashram में रहने लगा ।

Gandhi ji के ashram जो लोग रहते थे उन्हें ashram में सफाई और व्यवस्था के कार्यों को अनिवार्य रूप से करना पड़ता था । समाज को सर्पित इस बालक को भी बाकि लोगों कि तरह ही साफ –सफाई के , स्वच्छता – व्यवस्था के कार्य दिए गये । जिनको वह बड़ी ही श्रद्धा और विनम्रता के साथ निष्ठापूर्वक पूरा करता रहता। जो भी उसे बतलाया जाता उसे वह अपने jeevan का अंग बना  लेता। इस प्रकार वह ashram jeevan को स्वयं में उतारता चला गया ।   
  
फिर जब उसके ashram निवास की अवधि पूरी हो गयी, तो वह Gandhi ji से भेंट करने गया और उनसे कहा- “ bapu ! मैं तो यहाँ आप के पास mahatma बनने के गुर सीखने आया था, पर यहाँ तो मुझे साफ- सफाई और व्यवस्था के सामन्य से कार्य ही करने को मिले । mahatma बनने के सूत्र न तो बताये गये और न ही उनका कोई अभ्यास कराया गया ।”

bapu ने बड़े pyar से बालक के sir पर अपना हाथ फेरा, और उसको समझाया। वो बालक से बोले –“ बेटे ! तुम्हे यहाँ जो भी संस्कार मिले हैं, वे सब mahatma बनने की सीढ़ियाँ हैं । सफाई – वयवस्था के छोटे –छोटे कामों और बातों के द्वारा, जिस तन्मयता से यहाँ तुम्हारी बुद्धि का विकास कराया गया है । यही बुद्धि मनुष्य को साधारण मनुष्य से महामानव बनाती है । जो सब्र और सहनशीलता, कर्तव्यनिष्ठा और समर्पण का अभ्यास तुम्हारे शरीर ने यहाँ किया है उससे ही एक व्यक्ति mahatma बनता है ।”

बापू की ये बात समझ, बालक अपने mahatma पथ पर आगे बढ़ गया, अपनी country और society की सच्ची सेवा करने ।

Gandhi जी ने इसी प्रकार अपने ashram में छोटे छोटे सद्गुणों के महत्व को को समझाते हुए अनेको लोगों के जीवन क्रम को बदला और अनेक लोकसेवियों को बनाया , उन्हें सच्चे स्वयं सेवक के रूप में विकसित किया और अपनी country को सच्चे mahatma दिए ।

friends, आज अपना देश आजाद हो चुका है फिर भी आज जो स्थिति है उसके अनुसार देश को आज भी ऐसे ही mahatma बनने वाले और mahatma बनाने वाले सच्चे स्वयंसेवकों की जरूरत है । जो सिर्फ अपना ही नहीं country और society के विकास के बारे में निःस्वार्थ भाव से सोचे और उसके लिए जो बन सके वो उसे कर्तव्य निष्ठ हो पूर्ण रूपेण करें ।

jai Hind, jai Bharat.

Request- Friends, आपको मेरा ये Gandhi ji और उनके ashram पर Hindi में लिखा गया ये inspirational article कैसा लगा..? please ये comments के दवारा अवश्य बताएं और यदी आप को ये पसंद आया हो तो please इसे अपने दोस्तों के साथ share करें ।

            

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